बिहार की राजनीति तो निष्ठा बदलने के उदाहरणों से भरी पड़ी है. यहां कौन कब किसका दोस्त बन जाए और कौन कब किससे दोस्ती तोड़ विरोधी खेमे की ओर से मैदान संभाल ले, ये कहा नहीं जा सकता. अब चूंकि 2024 के चुनाव में एक साल से भी कम का वक्त बचा है यही दोस्ती-दुश्मनी का खेल राज्य के राजनीतिक दलों ने शुरू कर दिया है. इसके अगुआ बने हैं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानी हम के जीतनराम मांझी.
जीतनराम मांझी के बेटे संतोष मांझी ने मंगलवार को नीतीश सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही ये साफ हो गया कि बिहार में अब महागठबंधन के कुनबे में एक पार्टी कम हो गई है. गैर एनडीए दलों को एकजुट करने, किसी निष्कर्ष पर पहुंचकर साझा रणनीति बनाने और केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मजबूत चुनौती पेश करने की कोशिश में जुटे नीतीश के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है.
बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए बिछी सियासी बिसात पर एक तरफ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव हैं तो दूसरी तरफ 12 दल. इन 12 दलों में विपक्षी बीजेपी भी शामिल है. एक तरफ महागठबंधन है तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए. कांग्रेस भी सत्ताधारी महागठबंधन में ही शामिल है, ऐसे में उसे लेकर भी किसी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं है लेकिन मांझी के महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद गठबंधनों के गणित पर भी चर्चा शुरू हो गई है.