उप राष्ट्रपतिनालंदा: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को बिहार की अपनी पहली यात्रा पर राजगीर के नालंदा विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां विश्वविद्यालय के कुलपति अभय कुमार सिंह ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अंगवस्त्र और मेमेंटो देकर सम्मानित किया. उपराष्ट्रपति पत्नी डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ के साथ नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय के भ्रमण पर नालंदा विश्वविद्यालय पहुंचे. जहां वह छात्रों और प्राध्यापकों के साथ संवाद किया. इस दौरान मंत्री श्रवण कुमार सांसद कौशलेंद्र कुमार के अलावे कई देश विदेश के छात्र छात्राएं शामिल हुई. पहली बार नालंदा यूनिवर्सिटी आकर काफी प्रसन्न दिखे. उन्होंने राजगीर की वादियों के बारे में भी चर्चा की. छात्र छात्राओं को बेहतर शिक्षा को लेकर कई टिप्स भी दिए. उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एक गुरु के रूप में छात्र छात्राओं के द्वारा पूछे गए सवाल पर सरलता पूर्वक जवाब दिया. वही उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संवैधानिक संस्था पर किये जाने वाले टिप्पणी पर गहरी नाराजगी जाहिर की. नालंदा के अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये संवैधानिक संस्था पर टिप्पणी करने का आचरण हमारी सांस्कृतिक धरोहर के विपरित है. ऐसा जो भी कर रहें है चाहे जाने व अनजाने देश का बहुत बड़ा अहित कर रहें है. हमारा संकल्प है कि हम मर्यादित आचरण का पालन करें. जो व्यक्ति जितने बड़े पद पर हो उसका आचरण उतना हीं मर्यादित होना चाहिये. कोई भी अमर्यादित टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है.
धनखड़ का पहला बिहार दौरा
उपराष्ट्रपति बनने के बाद धनखड़ का बिहार का यह पहला दौरा है. उनकी यात्रा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है कि उपराष्ट्रपति को गया एयरपोर्ट से घुघरीटांड बाईपास, नारायणी पुल होते हुए विष्णुपद मंदिर के विशेष द्वार से प्रवेश कराया जाएगा. पिंडदान और कर्मकांड करने के बाद हेलीकॉप्टर से वो नालंदा के लिए रवाना हो जाएंगे.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि उपराष्ट्रपति को गया एयरपोर्ट से घुघरीटांड बाईपास, नारायणी पुल होते हुए विष्णु पर मंदिर के बने विशेष द्वार से प्रवेश कराया जाएगा. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार पिंडदान और कर्मकांड करने के बाद हेलीकॉप्टर से उपराष्ट्रपति नालंदा के लिए रवाना हो जाएंगे.
गया में पिंडदान का महत्व
बता दें कि हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बेहद ही खास महत्व माना जाता है. इस दौरान पितरों की आत्मा तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी आत्मा की शांति के लिए बिहार के गयाजी में श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक गया में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए ज्यादातर गयाजी में ही पितरों का पिंडदान किया जाता है. शुक्रवार को उपराष्ट्रपति धनखड़ भी पिंड दान करेंगे.
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