Breaking news पटना। सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा पर सीधा प्रहार है।
तेजस्वी यादव ने कहा — “यह जूता मुख्य न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि संविधान, न्यायपालिका और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की उस विचारधारा पर फेंका गया है, जिसने हमें समानता और न्याय का अधिकार दिया है।” उन्होंने इस घटना को भारतीय लोकतंत्र और न्यायिक इतिहास की सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक बताया।
राजद नेता ने आगे कहा कि यह घटना दर्शाती है कि कुछ ताकतें अब खुलेआम दलित विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन कर रही हैं। तेजस्वी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा और उसके समर्थक लगातार दलितों और वंचित वर्गों की आवाज को दबाने की कोशिश करते रहे हैं। जब संविधान की रक्षा करने वाले लोग भी निशाने पर आ जाएं, तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज भी दलित समुदाय से आने वाले व्यक्ति, चाहे वह किसी संवैधानिक पद पर क्यों न हों, सुरक्षित नहीं हैं? तेजस्वी ने कहा कि धर्म और जाति के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोग अब न्यायपालिका पर भी हमला करने से नहीं चूक रहे। उन्होंने कहा, “जो लोग संविधान की शपथ लेकर संविधान को ही कमजोर कर रहे हैं, वे देश के असली दुश्मन हैं।”
इस बीच, घटना की राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर व्यापक निंदा हुई है। कांग्रेस, भाजपा, जदयू, वाम दलों सहित तमाम राजनीतिक पार्टियों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि “मुख्य न्यायाधीश पर हमला दरअसल संविधान पर हमला है। न्यायपालिका की गरिमा हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है और इसकी रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है।”
वहीं, न्यायिक संगठनों और देशभर के वकीलों ने भी न्यायालय परिसर में हुई इस घटना पर चिंता जताई है और इसे अभूतपूर्व असंवेदनशीलता का उदाहरण बताया है। दिल्ली बार काउंसिल ने दोषी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हरकत करने का दुस्साहस न करे।
घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है और जांच शुरू कर दी है।
तेजस्वी यादव ने अंत में कहा कि “यह समय संविधान की आत्मा की रक्षा का है। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका — तीनों स्तंभों पर भरोसा बनाए रखना ही लोकतंत्र को बचाने का एकमात्र रास्ता है।”
Author: janhitvoice











