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“नीतीश कुमार की पार्टी “जदयू” आने वाले विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाएगी”-: चिराग पासवान

पटना: पटना में लोजपा (रामविलास गुट) सुप्रीमो चिराग पासवान ने पत्रकारों से कहा कि मुसलमान से ज्यादा मुख्यमंत्री को बिहार के तेरह करोड़ बिहारियों की चिंता करते तो ज्यादा बेहतर होता।

सिर्फ जब की राजनीति करना मुख्यमंत्री का नियति बन गया है और वह अब तीसरे नंबर की पार्टी के नेता बन गए हैं, इन्होंने जात-पात धर्म मज़हब जात को बांटने का काम किया है।

जहां अनुसूचित जाति में इनका समर्थक नहीं था उसको बांट कर इन्होंने अलग-अलग कर दिया, उसको दलित और महादलित कर दिया, पिछड़ा वर्ग में भी इनका समर्थक नहीं था उसको पिछड़ा और अति पिछड़ा कर दिया, अगड़ा और पिछड़ा, महिला, पुरुष समाज में यह बांटने का काम करते हैं । यही इनकी राजनीति रह गई है। उनकी पार्टी तीसरी नंबर की पार्टी बनकर रह गई है। आने वाले समय में वे हर जातियों के पास जाने का काम करेंगे लेकिन 2024 और विधानसभा के जो चुनाव होने वाले हैं उनकी पार्टी जदयू खाता तक नहीं खोल पाएगी।

जातीय जनगणना के आंकड़ों पर चिराग पासवान ने कहा “इस आंकड़े से बहुत सवाल खड़े होते हैं ,किसी को पता नहीं यह जातीय जनगणना कैसे हुआ? जाति विशेष को बढ़ाकर दिखाया गया है”

चिराग पासवान ने कि जेपी नड्डा द्वारा क्षेत्रीय पार्टी और परिवार वाद वाली पार्टी को खत्म करने की बात पर कहा कि”मैं कुछ नहीं कहुंगा “उन्होंने कहा की पार्टियां जनता बनती है, जनता ही बनाने वाली होती है और जनता ही समाप्त कर देने वाली होती है। मेरी पार्टी को समाप्त करने का षड्यंत्र तो वर्तमान मुख्यमंत्री के द्वारा रच ही दिया गया था, वहीं जदयू नेता के द्वारा पत्रकारों के गाली गलौज के मामले में चिराग पासवान ने कहा कि “यह बहुत ही घृणित काम है ,पत्रकार लोकतंत्र के चौथा स्तंभ माने जाते हैं ,मैं खुद और लोजपा रामविलास गुट इस बात का तहे दिल से निंदा करता है,
वही जातीय जनगणना के आंकड़ों पर उठे सवाल पर चिराग पासवान ने कहा कि “मैं भी स्तब्ध हूं इस तरह के जातीय जनगणना के जो आंकड़े आए हैं वह सवाल खड़ा करता है ,मैं खुद मीडिया से निवेदन करता हूं कि वह जाकर सर्वे करें कि जातीय जनगणना के लिए कितने लोगों के घर में अधिकारी गए?यह जनगणना कैसे हुई ?किसी को इस बात का पता नहीं, जिस वक्त इस जनगणना का प्रोसेस तैयार किया जा रहा था तब भी मैंने कहा था कि एक सर्व दलीय बैठक होनी चाहिए उसे पर विचार विमर्श किया जाना चाहिए, कि इस जनगणना को कैसे किया जाए? नहीं तो इसका हल भी शराब बंदी जैसी होगी, अभी जातीय जनगणना के जो आंकड़े आए हैं उसमें जाति विशेष को बढ़ाकर दिखाया गया है ऐसे कई जमात है जिनमें कई छोटी जातियां आती है उनकी संख्या के बारे में कम करके दिखाया गया है।

Author: janhitvoice

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