IRCTC घोटाला मामल में सीबीआई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जिसमें लालू प्रसाद और उनकी फैमिली के कई सदस्य अभियुक्त हैं।
आज दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में बड़ी सुनवाई होने वाली है। सोमवार को सह आरोपियों पर चार्जफ्रेम करने के मुद्दे पर बहस होने वाली है।
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भी CBI ने आरोप-पत्र दायर किया है। पिछली सुनवाई में लालू प्रसाद के वकील ने कहा था कि CBI ने ऐसा कोई भी सबूत पेश नहीं किया, जिससे यह साबित हो सके कि लालू प्रसाद ने टेंडर दिलाने के मामले में किसी का पक्ष लिया हो। लालू के वकील ने यह भी कहा था कि CBI को हाईप्रोफाइल केस में सबूतों के साथ कोर्ट में आना चाहिए। सिर्फ हवाहवाई बातों पर चार्ज फ्रेम करने की मांग नहीं की जा सकती।
CBI के वकील ने कहा था कि रेलवे के होटलों का टेंडर देने में पॉलिसी में बदलाव किया गया, जिसमें तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के प्रभाव का इस्तेमाल किया गया। एक तरीके से मंत्री की ओर से दखलअंदाजी की गई। रेलवे बोर्ड ने देश के सभी होटलों और ट्रेनों में कैटरिंग सेना IRCTC को सौंप दिया था। टेंडर देने में रांची और ओडिशा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया था, जिसके बाद CBI ने इस मामले में लालू प्रसाद समेत अन्य कई लोगों पर चार्जशीट दाखिल की।
साल 2004 से 2009 के बीच लालू यादव रेल मंत्री रहे थे। उस समय इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन यानी IRCTC के जरिए रांची और पुरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को दे दिया गया। विनय और विजय कोचर इस कंपनी के मालिक थे और सुजाता होटल्स ने इसके बदले में कथित तौर पर लालू यादव को पटना में तीन एकड़ जमीन दी, जो बेनामी संपत्ति थी।
वहीं, 2006 में रांची और ओडिशा के पुरी में IRCTC के दो होटलों के ठेके पटना में एक प्रमुख स्थान पर तीन एकड़ के वाणिज्यिक भूखंड के रूप में रिश्वत में शामिल एक निजी फर्म को आवंटित करने में कथित अनियमितताएं थीं, जिसके बाद ईडी ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी।