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अगर सरकार आधिकारिक तौर पर भारत नाम रख दी तो क्या इंडिया लिखे सभी रुपयों को वापस लेगी और क्या देश में इसी बहाने एक बार फिर नोटबंदी लागू होने का रास्ता तैयार हो रहा है?

राष्ट्रपति की ओर से जी 20 कार्यक्रम के लिए मेहमानों को भेजे गए निमंत्रण पत्र पर ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ शब्द का उपयोग करने पर बवाल खड़ा हो गया है।

यदि सरकार ने देश का नाम इंडिया के स्थान पर आधिकारिक तौर पर भारत रख दिया तो इसका क्या असर पड़ेगा? क्या सरकार सर्वोच्च न्यायालय, आईआईटी-आईआईएम संस्थानों के नाम भी बदलेगी? सबसे बड़ा असर तो सभी भारतीय रुपयों पर अंकित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर पड़ेगा। तो क्या सरकार इंडिया लिखे सभी रुपयों को वापस लेगी और क्या देश में इसी बहाने एक बार फिर नोटबंदी लागू होने का रास्ता तैयार हो रहा है? आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसी तरह की आशंका व्यक्त की है। 

क्या होगा?
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि अभी तक सरकार ने इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। ऐसे में इतने गंभीर मुद्दे पर कयासबाजी करना उचित नहीं है। लेकिन यदि यह मान भी लें कि सरकार देश का नाम आधिकारिक तौर पर बदलेगी तब भी वह दोबारा नोटबंदी लागू करने का जोखिम नहीं उठाएगी। पिछली बार हुई नोटबंदी का असर लंबे समय तक भारत को भुगतना पड़ा था। ऐसे में देश दोबारा यह खतरा नहीं उठा सकता। 

2000 रुपयों को वापस लेने का फॉर्मूला आ सकता है काम
सरकार ने अपनी पिछली गलती से सीख ली है। उसका सीधा असर तब दिखाई पड़ा जब 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया गया, लेकिन सरकार के इतने बड़े फैसले के बाद भी बाजार में इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ा। सरकार ने बैंकों में जमा 2 हजार के नोटों को वापस लेना शुरु कर दिया और इसके नए नोट जारी करना बंद कर दिया। इससे दो हजार रुपये का नोट प्रचलन से बाहर भी हो गया, लेकिन इसका कोई नकारात्मक असर भी नहीं पड़ा। 

यदि सरकार इंडिया के स्थान पर भारत शब्दों को देश के आधिकारिक नाम के तौर पर मान्यता दे दी तब उसके लिए रूपयों पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नाम बदलना अनिवार्य हो जाएगा। क्योंकि किसी देश की मुद्रा उसकी संप्रभुता का प्रमाण होती है और इस पर देश के नाम के तौर पर कोई दूसरा शब्द स्वीकार नहीं हो सकता। 

चूंकि, इतनी बड़ी प्रक्रिया रातों रात नहीं होती। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया होगी और उन बदलावों को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा, सरकार के पास लोगों को देने के लिए पर्याप्त समय होगा। सभी मुद्राओं को धीरे-धीरे चरणबद्ध प्रक्रिया से चलन से बाहर किया जा सकता है और इसमें अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान भी नहीं होगा। 

Author: janhitvoice

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