पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने एक्शन से तकरीबन हर रोज सभी को चौंका रहे हैं। ताजा मामला जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह में नीतीश कुमार के शामिल होने को लेकर है। जैसे ही यह खबर आई की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजेंद्र नगर स्थित चरखा मैदान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह में शामिल होंगे तो बिहार की राजनीति का तापमान एक बार फिर से बढ़ गया है। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री इस जयंती समारोह में शामिल होंगे जहां उनके कैबिनेट के कई मंत्री और भाजपा के नेता भी हो सकते हैं। नीतीश कुमार का यह एक्शन राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा बटोर रहा है। चर्चा यह हो रही है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदलेंगे? खास बात यह है कि मुख्यमंत्री के इस फैसले का भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने स्वागत किया है। बताते चले कि इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते दिनों दिल्ली गए थे जहां उन्होंने अटल जी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। इस पर भी नीतीश कुमार की इस क्रिया से राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हुई। उसके बाद नीतीश कुमार जी-20 की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली गए थे जहां नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी देखने को मिली थी। लेकिन JDU की ओर से किसी प्रकार की नजदीकियों का खंडन किया गया था और कहा गया था कि महागठबंधन पूरी ताकत के साथ एकजुट है। परंतु आज फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह में शामिल होने के अपने फैसले से बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही बीते 2020 में इसी चरखा मैदान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मूर्तिका अनावरण किया था। तब महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पर यह सवाल उठाया गया था कि जो नीतीश कुमार अपने आप को आरएसएस और जनसंघ का विरोधी बताते हैं आखिर वह जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति का अनावरण कैसे कर सकते हैं! परंतु उसे समय जदयू की ओर से सफाई दी गई थी कि देश के जो भी महान व्यक्ति हुए हैं मुख्यमंत्री उनका आदर करना करते हैं। इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। परंतु उसे समय बिहार में एनडीए की सरकार थी और अभी महागठबंधन की सरकार है ऐसे में मुख्यमंत्री के इस एक्शन से सवाल उठना लाजिमी है।