पटना: बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) के कुछ डॉक्टरों द्वारा डेंटल और आयुष डॉक्टरो पर अमर्यादित टिप्पणी की गई है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जो चैट है उसे पढ़कर आप भी उसका अर्थ लगा सकते हैं। यह पढ़े लिखे लोगों का समूह है। इस तरह की टीका टिप्पणी केवल एक सोशल मीडिया के ग्रुप में बने रहने के लिए,या फिर अपना महत्व लोगों या अपने साथ काम करने वाले अपने सहयोगियों को बताने के लिए किया जा रहा है की हम बड़े हैं। आईए आपको हम भासा संघर्ष समिति का पहला चैट दिखाते हैं ।

भासा संघर्ष समिति में लगातार भासा के सदस्य द्वारा अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा जबकि दंत चिकित्सा पदाधिकारी चुपचाप शांत रहे।

सिर्फ दो या तीन सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी लगातार अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर रहे थे।


मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया को अब नेशनल मेडिकल कमिशन के तौर पर जाना जाता है जबकि डेंटल काउंसिल आफ इंडिया को अब नेशनल डेंटल कमीशन के तौर पर जाना चाहता है। भारतीय संसद द्वारा दोनों आयोग को मंजूरी दी गई है और अब नेशनल मेडिकल कमिशन- एमबीबीएस को रजिस्टर्ड करती है जबकि नेशनल डेंटल कमीशन दंत चिकित्सकों को रजिस्टर्ड करती है। भारत में सिर्फ यह दो ही रजिस्टर्ड एलोपैथिक चिकित्सा होते हैं। Modern Medicine ( एलोपैथिक) पद्धति के यह दोनों चिकित्सा एलोपैथी मेडिसिन का प्रयोग करते हैं एवं सभी आधुनिक उपकरणो ,एक्स-रे, पैथोलॉजी टेस्ट इत्यादि का उपयोग कर रोगों का निवारण करते हैं।
दंत चिकित्सा पदाधिकारियों का संगठन डेंटल हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मुकेश सिंह चौहान ने बताया कि एमबीबीएस चिकित्सकों में वैसे चिकित्सक जो विदेशी डिग्री लेकर आए हैं उन लोगों में इंफेरियरिटी कंपलेक्स बहुत ज्यादा है और खुद में ज्ञान का अभाव होने के कारण दूसरों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति आ गई है। जबकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन या भासा के वरिष्ठ पदाधिकारी सभी को समान निगाह से देखते हैं।


Author: janhitvoice

