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बेंगलुरु जाने वाली ट्रेन में सीट के लिए मारामारी।

पटना से बेंगलुरु जाने वाली ट्रेन में सीट के लिए मारामारी। जनरल बोगी में लोग भेड़-बकरी की तरह सफर कर रहे लोग।

दानापुर रेल मंडल में भेड़- बकरी के तरह अपने गतव्य स्थान पर जा रहे है रेल यात्री। लेटलतीफी से लेकर आरक्षित बोगियों में क्षमता से अधिक सवारी रेल यात्रा को दुर्गम बना देता हैं। रेलवे सुविधाओं पर कम कमाई पर अधिक फोकस बनता जा है। बिना सोचे-समझे क्षमता से अधिक जेनरल टिकट काट दिया जाता हैं। किराया बढ़ा कर यात्रियों पर बोझ डाल दिया जाता है। लेकिन सुविधा के नाम पर भेंड़-बकरियों की तरह सफर करने पर मजबूर हैं रेल यात्री। सुपरफास्ट ट्रेनों के एसी व स्लीपर कोच में बर्थ सीमित हैं, और बर्थ फुल होने के बाद एक निर्धारित सीमा तक वेटिंग टिकट बुक करने का प्रावधान बनाया गया है। वेटिंग टिकट वाले यात्री काउंटर से टिकट बुक कराते हैं। ताकि कंफर्म नहीं होने के बावजूद सफर कर सकें। वहीं जेनरल टिकट बुक करने की कोई सीमा निर्धारित नहीं है। वेटिंग टिकट लेकर सफर करने का प्रावधान नहीं है, फिर भी यात्री वेटिंग टिकट लेकर यात्रा करते हैं। रेलवे द्वारा भी ट्रेनों में सुरक्षित यात्रा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ट्रेन की बोगी इंजन या बोगी के गेट पर लटक कर सफर नहीं करने की चेतावनी के साथ-साथ जागरूकता स्लोगन लगे होर्डिंग व पोस्टर भी स्टेशनों पर लटकाए जाते हैं। इसके बावजूद बक्सर आरा पटना रेलखंड पर अप व डाउन लाइन की करीब सभी एक्सप्रेस ट्रेनों का एक ही जैसा हालत है। साधारण आरक्षित बोगी ही नहीं एसी में भी भेड़-बकरी की तरह ठूंसे यात्री बोगी के गेट पर जान जोखिम में डालकर सफर करने को अपनी दिनचर्या बना लिया है। कई ट्रेनों में तो ऐसा भी देखने को मिलता है, कि बोगी के अंदर काफी जगह खाली है लेकिन बोगी के गेट पर ही यात्री लटके रहते हैं। इस दौरान चढ़ने और उतरने की आपाधापी से हर पल दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। ट्रेनों में यात्री कम रहने के बावजूद बोगी के गेट पर लटक कर लोग सफर करते नजर आए। थोड़ी सी चूक होती तो स्टेशन पर हादसा हो सकता था। कई ट्रेनों में एस्कार्ट पार्टी के रूप में तैनात रेल पुलिस द्वारा ट्रेन में लटक कर सफर करने वाले यात्रियों को डांट-फटकार भी लगाई जाती है। लेकिन दानापुर रेलखंड पर ट्रेनों में लटक कर सफर करने की यात्रियों की आदत सी बन गई है।

आरा-बक्सर के बीच सभी पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों का एक ही हाल, भीड़ के कारण मिटी दिखता है जेनरल व रिजर्व बोगी का फर्क

ट्रेन की गेट पर खतरनाक ढंग से लटककर यात्रा करते लोग।

बिना बुक किए सामान भी पैसेंजर ट्रेनों में चढ़ाए जाते हैं

पटना मुगलसराय रेलखंड के बीच चलने वाली सवारी ट्रेनें व बोगी कम रहने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। कम डिब्बे रहने के कारण यात्रियों को भेड़-बकरियों की तरह ट्रेनों में सफर करना पड़ता है। रेलखंड पर चलने वाली सवारी गाड़ियों में कम डिब्बे रहने के कारण यात्रियों को भेड़-बकरियों की तरह सफर करना पड़ता है। अधिक भीड़ के कारण पैसेंजर ट्रेनों के गेट पर यात्री लटके रहते हैं, जिसके कारण अन्य यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने व उतरने में काफी परेशानी भी उठानी पड़ती है। विभागीय लापरवाही के कारण बिना बुक किए सामान भी पैसेंजर ट्रेनों में चढ़ाए जाते हैं, जो अधिकांशत गेट पर ही रखे जाते हैं। जिस कारण और भी परेशानी होती है।

ट्रेन के जेनरल डिब्बे में भीड़ के कारण गमछा बांधकर जुगाड़ सीट बनाया और किसी तरह बंदर की तरह लटका यात्री।

आबादी बढ़ी, ट्रेनें भी बढ़ीं कम नहीं हुई टिकटों की मारामारी आरा में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भोजपुर की जनसंख्या 27 लाख 28 हजार थी, जो बढ़ कर वर्ष 2018 में 33 लाख हो गयी है। वर्तमान में जिले की जनसंख्या बढ़ कर 6 लाख से अधिक हो गयी है। जिले में रोजगार के बड़े अवसर नहीं होने की वजह से बड़ी आबादी रोजगार की तलाश में बाहर दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई आदि शहरों में पलायन कर गये है। लेकिन ये लोग पर्व व लगन पर घर आते हैं और फिर खत्म होने पर लौटते हैं। लोगों को आने-जाने में परेशानी नहीं हो इसको लेकर रेलवे प्रशासन ने स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ायी जाती है। 10 वर्ष पहले दो-चार स्पेशल ट्रेनें ही चलती थीं पर अब 40 जोड़ी पूजा स्पेशल ट्रेनें चलायी जा रही हैं। इसके बावजूद नियमित ट्रेनों के साथ-साथ स्पेशल ट्रेनों में भी कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा है।

Author: janhitvoice

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